75 दिनों तक चलने वाले विश्व प्रसिद्ध बस्तर दशहरा की दूसरी प्रमुख रस्म ' डेरी गड़ाई ' 8 सितंबर को सिरहासार भवन में होगी । इस रस्म के साथ ही नए रथ का निर्माण भी शुरू हो जाएगा । सिरहसार के सामने तैयारियां चल रही हैं । इसके अवाला सितंबर माह में बस्तर दहशरा की डेरी गड़ाई की रस्म के साथ कुल 4 सबसे महत्वपूर्ण रस्म अदा की जाएगी । इनमें 25 सितंबर को काछन जात्रा विधान , 26 सितंबर को कलश स्थापना और जोगी बिठाई विधान होगा । साथ ही 27 सितंबर को नवरात्र पूजा विधान संपन्न होगा ।
दरअसल , डेरी गड़ाई रस्म अदा करने के लिए बस्तर के ही एक गांव से साल की दो शाखायुक्त 10 फीट की लकड़ी लाई जाती है । इसे हल्दी का लेप लगाकार प्रतिस्थापित किया जाता है । इसे डेरी कहा जाता है और इसकी स्थापना डेरी गड़ाई कहलाती है । सिरहासार भवन में दो स्तंभों के नीचे जमीन खोदकर पहले उसमें अंडा और जिंदा मोंगरी मछली डाली जाती है । फिर उन गड्ढों में डेरी स्थापित किया जाता है । इस रस्म के बाद बस्तर दशहरा के विशाल लकड़ी के रथों का निर्माण शुरू हो जाता है । डेरी गड़ाई की रस्म के बाद रथ निर्माण के लिए लकड़ियां लानी शुरू हो जाती है ।
बस्तर दशहरा के लिए बनने वाले रथ में केवल साल और तिनसा प्रजाति की लकड़ियों का उपयोग किया जाता है । डेरी गड़ाई रस्म अदा करने के बाद ही तिनसा प्रजाति की लकड़ियों से पहिए का एक्सल तो वहीं साल की लकड़ियों से रथ का निर्माण होता है । परंपरा अनुसार बस्तर के झारउमरगांव और बेड़ाउमरगांव के ग्रामीण ही रथ का निर्माण करते हैं । रथ बनाने के लिए आधुनिक औजारों का नहीं बल्कि पारंपरिक औजारों का ही उपयोग किया जाता है । दशहरा में कुल 3 रथ की परिक्रमा कराई जाती है ।