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चार साल पहले ही संसद में पास हो गया था CAA, अगले सात दिन के अंदर ही नागरिकता संशोधन कानून (CAA) लागू कर दिया जाएगा??

दिसंबर 2019 में ही संसद में नागरिकता संशोधन विधेयक पास हो गया था। इसके बाद 10 जनवरी 2020 को राष्ट्रपति ने भी मंजूरी दे दी। बावजूद इसके चार साल तक यह कानून लागू नहीं हो पाया है।

केंद्रीय मंत्री शांतनु ठाकुर ने दावा किया है कि अगले सात दिन के अंदर ही नागरिकता संशोधन कानून (CAA) लागू कर दिया जाएगा। उनके बयान के बाद सीएए पर एक बार फिर चर्चा शुरू हो गई है। बता दें कि यह विधेयक दिसंबर 2019 में ही संसद में पास हो गया था। इसके बाद तत्कालीन राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने भी विधेयक को मंजूरी दे दी और इसके बाद यह कानून बन गया। यह कानून बांग्लादेश, पाकिस्तान और अफगानिस्तान के धार्मिक अल्पसंख्यकों को नागरिकता देने का भी प्रावधान करता है।

कानून बनने के बाद ही शुरू हो गए विरोध प्रदर्शन
सीएए को लेकर देशभर में विरोध प्रदर्शन शुरू हो गए। वहीं दिल्ली के
 शाहीन बाग में महिलाएं धरने पर बैठ गईं। लंबे समय तक चले प्रदर्शन के बाद कोरोना लॉकडाउन के दौरान उन्हें सड़क पर से हटाया गया। वहीं बीते साल भी केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने दावा किया था कि सीएए को लागू होने से कोई रोक नहीं सकता। वहीं विपक्ष का कहना है कि 2024 के चुनाव से पहले इस तरह से सीएए की चर्चा करके भाजपा केवल वोट बटोरना चाहती है। 

 

रिपोर्ट्स में कहा गया कि सरकार सीएए को लागू करने से पहले इससे संबंधित प्रक्रिया के लिए सारा काम पूरा करना चाहती है। सरकार चाहती है कि आवेदन से लेकर मंजूरी और नागरिकता देने तक का काम ऑनलाइन हो। इसके लिए वेबसाइट, ऐप और तकनीक की जरूरत है। एक अधिकारी के हवाले से पीटीआई ने रिपोर्ट किया था कि नागरिकता देने के लिए कोई यात्रा का कोई दस्तावेज भी नहीं मांगा जाएगा। केवल शख्स को भारत आने का साल बताना होगा।

सुप्रीम कोर्ट भी पहुंचा था सीएए का मामला


पहले तो विपक्ष के विरोध की वजह से सीएए में बाधा आई। इसके बाद सुप्रीम कोर्ट में भी कानून की संवैधानिक वैधता पर सवाल उठाए गए। कहा गया कि यह कानून भेदभाव को बढ़ावा देने वाला हैष इसमें रोहिंग्या और तिब्बती बौद्धों को क्यों नहीं शामिल किया गया है। पूर्वोत्तर के राज्यों में इस कानून का खूब विरोध हुआ। कई जगहों पर हिंसा हुई जिसमें सरकारी संपत्ति का भी नुकसान हुआ। 

कानून लागू होते ही क्या बदल जाएगा


इस कानून के मुताबिक तीन पड़ोसी देशों, बांग्लादेश, पाकिस्तान और अफगानिस्तान से आए धार्मिक अल्पसंख्यकों को नागरिकता दी जाएगी। जो लोग 2014 तक किसी प्रताड़ना के चलते भारत आए हैं उनको नागरिकता मिलेगी। इसमें हिंदू, सिख, बौद्ध, जैन, पारसी और ईसाई शामिल होंगे। बता दें कि यह विधेयक 2016 में ही लोकसभा में पास हो गया था लेकिन राज्यसभा में पास नहीं हो पाया था। इसके बाद इसे 2019 में फिर से पेश किया गया। 10 जनवरी 2020 को राष्ट्रपति ने इसे मंजूरी दी थी। उसके बाद दो साल कोरोना का ही प्रकोप रहा। इस कानून के तहत 9 राज्यों के 30 से ज्यादा डीएम को भी विशेष अधिकारक दिए जाएंगे। 

 

 

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